गूगल ऐडसेंस और एफ़िलिएट मार्केटिंग पर कई चर्चाएँ हो चुकी हैं। इससे संबंधित कई प्रश्नों के उत्तर आपको पिछली पोस्टों से मिल जायेंगे। लेकिन एक प्रश्न है जिसको हर नया ब्लॉगर पूछता है- क्या मैं अपने ब्लॉग पर ऐडसेंस और एफ़िलिएट ऐड दोनों को साथ लगा सकता हूँ। इससे ऐडसेंस अकाउंट को कोई ख़तरा तो नहीं होगा।
ऐडसेंस और एफ़िलिएट ऐड एक ही पेज पर
नए ब्लॉगर इस बारे में कई लोगों से पूछने के बाद भ्रमित हो जाते हैं। उनके मन में एक दुविधा हो जाती है। लेकिन आपको मालूम होना चाहिए कि गूगल ऐडसेंस एक कंटेक्स्चुअल ऐड नेटवर्क है। अगर आप इसके साथ किसी दूसरी कम्पनी के कंटेक्स्चुअल ऐड्स को लगाते हैं तो यह सरासर ग़लत है।
अमेज़ॉन एफ़िलिएट विज्ञापनों की तरह ही अनेक कम्पनियाँ एफ़िलिएट मार्केटिंग करने की सुविधा देती हैं- जैसे ईबे, होस्टगेटर, ब्लू होस्ट आदि।
एफ़िलिएट ऐड से सहमति
आप गूगल ऐससेंस के साथ किसी भी कम्पनी के एफ़िलिएट ऐड्स लगा सकते हैं। इसमें एडसेंस पॉलिसी का कोई उल्लंघन नहीं होता है। जिसकी जानकारी गूगल द्वारा आधिकारिक सहायता पेज पर दी गयी है। जिसमें साफ़-साफ़ एफ़िलिएट और लिमिटेड टेक्स लिंक्स को प्रयोग करने की छूट की बात कही गयी है। साथ में एफ़िलिएट ऐड्स को किसी दूसरे ऐड नेटवर्क की तरह माना गया है।
उक्त जानकारी अंग्रेजी सहायता पृष्ठ से-
पहले ये जानना ज़रूरी है
यह सचमुच ख़ुशी होने की बात है। लेकिन रुकिए – किसी भी तरह का एफ़िलिएट बैनर ऐड या लिंक ऐड डालने से पहले आपको सभी ज़रूरी बातें जाननी चाहिए।
– ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री की क्वालिटी पर ध्यान दें, न कि पेज पर लेख कम हो और एफिलिएट ऐड ढुँसे पड़े हों। यूज़र्स एक्सपीरिएंस के साथ समझौता करना आपके ऐडसेंस अकाउंट को बंद करवा सकता है। इसलिए किसी पेज पर विज्ञापनों की संख्या कम से कम रखें।
– कोई भी ऐसा एफिलिएट ऐड न प्रयोग कीजिए जो गूगल पॉलिसी के ख़िलाफ़ हो। आप इतने तो समझदार हैं। ऐडसेंस किसी पेज में लगाए जाने वाले लिंक और विज्ञापनों को उस पेज पर मौजूद कंटेंट के रूप में देखता है। इसलिए आपसे जाने अनजाने ग़लती न होने पाए।
– एफ़िलिएट लिंक को क्लोक करना चाहिए। नहीं तो आप नोफ़ॉलो मेटा टैग का प्रयोग करके अपने पेज की सर्च रैकिंग को बचा सकते हैं।
निष्कर्ष
गूगल ऐडसेंस के साथ-साथ सही एफिलिएट ऐड्स को प्रयोग किया जा सकता है। एफ़िलिएट मार्केटिंग की दुनिया में क़दम रखने से पहले आप इसे अच्छे से जानें और समझें। उसके बाद ही ऐड लगाएँ। ब्लॉग पर लगी सभी ऐडसेंस यूनिट पर एक जैसे क्लिक नहीं आते हैं मानी कोई यूनिट अधिक कमाती है तो कोई कम कमाती है। इससे कम कमाने वाली ऐड यूनिट को एफ़िलिएट ऐड से बदलना समझदारी हैं। एक बार एफ़िलिएट से कमाई बढ़ना शुरु हुई नहीं कि आप ऐडसेंस भूल जायेंगे। सच मानिए ऐडसेंस कमाई का अच्छा ज़रिया है लेकिन एफ़िलिएट मार्केटिंग में कहीं ज़्यादा आमदनी है।
अभी भी आपके मन में कोई शंका या प्रश्न है तो कमेंट बॉक्स नीचे दिया गया है। आप प्रश्न पूछने के साथ-साथ अपनी राय ज़रूर दें।