एस.ई.ओ में बैकलिंक क्या है और उसके फ़ायदे

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आज हिंदी ब्लॉगर भी एसईओ पर चर्चा करते हुए बैकलिंक की बात करने लगे हैं। बहुत से नये ब्लॉगर अक्सर प्रश्न करते हैं कि बैकलिंक क्या है, उन्हें बैकलिंक / Backlinks कैसे मिल सकते हैं और बैकलिंक से उनके ब्लॉग को फ़ायदा है? यह लेख सभी हिंदी ब्लॉगरों एसईओ की अच्छी समझ पैदा करने उद्देश्य से दिया जा रहा है। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप इस लेख को पढ़कर जान पायेंगे कि बैकलिंक क्या हैं और आपके ब्लॉग को कैसे अच्छी रैंक दिला सकते हैं?

A complete guide about Backlink building…

Backlink building in Hindi

बैकलिंक क्या है?

What is a backlink in SEO?

आसान शब्दों में कहूँ तो यदि कोई अन्य ब्लॉगर आपके ब्लॉग का लिंक अपने ब्लॉग पर लगाये तो यह आपके लिए एक बैकलिंक होगा। बैकलिंक का सर्च इंजन में बहुत महत्व है यदि किसी साइट या पेज के अधिक बैकलिंक हों तो सर्च इंजन ये समझता है कि वो साइट या पेज बहुत काम है और लोग उसे अन्य लोगों के साथ शेअर कर रहे हैं। पहले सर्च इंजन में टॉप पोज़िशन / Top position in search engine पर आने के लिए लोग अधिक से अधिक बैकलिंक हासिल करते थे। आज भी बैकलिंक का उतना ही महत्व है और यह आपकी साइट को अच्छी रैंक दिलाने और सर्च इंजन परिणाम में सबसे ऊपर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं।

बैकलिंक से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण शब्द –

Backlink and other related terminologies

१. लिंक जूस । Link Juice –

जब कोई साइट या वेबपेज आपकी साइट के किसी लिंक को Dofollow लिंक देता है तो वह अपनी साइट की रैंक को शेअर करता है, इसे लिंक जूस / Link juice देना कहते हैं। इससे आपकी साइट सर्च इंजन में अच्छी रैंक प्राप्त करती है और साथ ही डोमेन ऑथारिटी / Domain authority भी बढ़ती है। अगर आप किसी दूसरी साइट या वेब पेज को लिंक जूस नहीं देना चाहते हैं तो आप लिंक को Nofollow चिह्नित कर सकते हैं।

२. डूफ़ॉलो लिंक । Dofollow Link –

यदि आप किसी लिंक को Nofollow चिह्नित न करें तो वह एक डूफ़ॉलो लिंक ही होता है। सामान्यत: हम डूफ़ॉलो लिंक ही बनाते हैं।

३. नोफ़ॉलो लिंक । Nofollow Link –

जब आप किसी साइट पर भरोसा नहीं रखते हैं तो उसको दिये जाने वाले लिंक को नोफ़ॉलो टैग / Nofollow tag से चिह्नित कर सकते हैं। ऐसा करने से आप सर्च इंजन को बताते हैं कि वह इस लिंक को आपकी साइट पेज से लिंक जूस न दे। सामान्य तौर पर चाहे आप ब्लॉगर प्रयोग कर रहे हों या फिर वर्डप्रेस उनके कमेंट में दिये या प्रयोग किये जाने वाले लिंक पहले से ही नोफ़ॉलो चिह्नित रहते हैं ताकि कोई चाहकर भी आपकी साइट से लिंक जूस न पा सके।

४. लिंकिंग रूट डोमेन । Linking Root Domain –

किसी साइट के होम पेज या किसी अन्य पेज से एक बैकलिंक मिलने पर हम कह सकते हैं कि वह साइट आपके साइट या पेज को रूट डोमेन / Root domain से जोड़ रही है। यदि आपको किसी साइट से दो या अधिक बैकलिंक मिल रहे हों तो भी उसे रूट डोमेन से मिलने वाला एक लिंक ही माना जाता है।

५. इंटर्नल लिंक । Internal Links –

जब आप अपनी ही साइट के एक पेज का लिंक दूसरे पेज पर प्रयोग करते हैं तो उसे इंटर्नल लिंक / Internal link कहा जाता है। आज एसईओ में सर्च इंजन रैंक और पेज ऑथारिटी / Page authority आदि बढ़ाने के लिए इंटर्नल लिंक्स का महत्व और भी बढ़ गया है।

६. लो क्वालिटी लिंक । Low Quality Links –

ऐसी साइट जो बहुत कम गुणवत्ता वाली होती हैं और जो सिर्फ़ बैकलिंक की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से बनायी जाती हैं या फिर स्पैम या व्यस्क सामग्री वाली वेबसाइटों से मिलने वाले लिंक लो क्वालिटी वाले लिंक की श्रेणी में रखे जाते हैं। ऐसी साइटों से मिलने वाले लिंक सर्च इंजन में आपकी साइट की पोज़िशन बड़ी आसानी से नीचे गिरा सकते हैं। इसलिए आपको यह ज़रूर मॉनीटर करना चाहिए कि आपकी साइट की लिंक कहीं ऐसी साइटों पर तो नहीं जुड़ा है। अगर ऐसा हो तुरंत डिसावाव / Disavow करना चाहिए। डिसावाव पर हम बाद में चर्चा करेंगे।

डिसावाव का प्रयोग पूरी समझदारी से करना चाहिए, अन्यथा आपकी साइट कम भी हो सकती है।

७. ऐंकर टेक्स्ट । Anchor Text –

वह शब्द या वाक्य जिस पर कोई हाइपर लिंक जोड़ा जाता है, ऐंकर टेक्स्ट कहलाता है। एसईओ की दृष्टि से एक लिंक सही ऐंकर टेक्स्ट से जुड़ा होना चाहिए जिससे आप किसी तय कीवर्ड के लिए सर्च इंजन में अच्छी रैंक बना सकते हैं।

बैकलिंक से आपकी साइट को क्या फ़ायदा है?

How backlinks improve website SEO?

गूगल ने ब्लैक हैट एसईओ करके जल्दी सर्च इंजन में टॉप पोज़िशन पर पहुँचने की कोशिश करने वालों पर लगाम कसने के लिए पेंगुइन, पांडा, पीजन जैसी अनेक एल्गोरिद्म्स जारी की हैं। जो जानबूझकर रैंक बढ़ाने के लिए बनाये जाने वाले लिंक्स को पहचान कर आपकी साइट पर पेनाल्टी लगाता है और साइट को सर्च इंजन रिज़ल्ट्स बाहर कर देता है।

इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने ही विषय से सम्बंधित साइटों से सही ऐंकर टेक्स्ट प्रयोग करके बैकलिंक प्राप्त करें। जैसे अगर आप विज्ञान विषय से सम्बंधित साइट चला रहे हैं तो आपको अन्य विज्ञान साइटों के पेज से लिंक लेने की कोशिश करनी चाहिए। ये भी ध्यान रहे कि गूगल जानबूझकर बनाये गये लिंक्स को आसानी से पहचान लेता है।

#१ ऑरगैनिक सर्च ट्रैफ़िक और रैंक बढ़ती है
Improve organic search engine traffic and ranking

जब आपकी साइट सर्च इंजन के हिसाब से सही ऑरगैनिक लिंक प्राप्त करती है तो सर्च इंजन एल्गोरिद्म्स आपकी साइट के पेजों को सर्च में ऊपर कर देते हैं और आपकी साइट पर सर्च इंजन से आने वाला ट्रैफ़िक बढ़ जाता है। आपको सिर्फ़ अपनी साइट के होमपेज के लिए ही नहीं बल्कि आपको अन्य पेजों के लिए बैकलिंक बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

#२ साइट और उसके पेज सर्च इंजन में जल्दी दिखते हैं
Website and their pages appear fast in search engines

यदि आपने नयी साइट बनायी है और आप चाहते हैं कि आपकी साइट गूगल में जल्दी दिखने लगे तो यह ज़रूरी है कि आप अपनी साइट के होमपेज के साथ-साथ अन्य पेजों के लिए बैकलिंक प्राप्त करने की कोशिश करें। तकनीकी भाषा में कहें तो बैकलिंक आपकी साइट और उसके पेजों की सर्च इंजन में अच्छी इंडेक्सिंग के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

#३ आपकी साइट को रेफ़्रल ट्रैफ़िक मिलता है
Your website receive referral traffic

जब कोई आपकी साइट का लिंक अपनी साइट पर लगाता है तो उसकी साइट के पाठक उस लिंक पर क्लिक करके आपकी साइट पर आते हैं, इस प्रकार मिलने वाले ट्रैफ़िक को रेफ़्रल ट्रैफ़िक कहते हैं। रेफ़्रल ट्रैफ़िक आपकी साइट का बाउंस रेट कम करने में पूरी सहायता करता है क्योंकि पाठक अपनी रुचि का कंटेंट पढ़ने आता है और आपकी साइट पर ज़्यादा समय बिताता है।

आपकी साइट को बैकलिंक कैसे मिल सकते हैं ?

How to create backlinks for your site?

मुझे लग रहा है कि अब आप बैकलिंक बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन ध्यान रखें आपकी साइट को सिर्फ़ अच्छी और पुरानी साइटों से बैकलिंक मिलें। कोशिश कीजिए कि आप पेड बैकलिंक न लें क्योंकि अगर गूगल एल्गोरिद्म्स यह समझ गयी कि आपने पैसे खर्च करके बैकलिंक बनायें तो आपकी साइट पर पेनॉल्टी लग सकती है।

  • आप बड़ी आसानी से ख़ुद ही बैकलिंक्स बना सकते हैं –
  • लोगों के सामने ऐसा कंटेंट प्रस्तुत करें कि वह उसकी चर्चा आपकी साइट का लिंक देकर करें।
  • अन्य ब्लॉगों पर अतिथि लेखन करें और लेख में अपनी साइट का लिंक प्रयोग करें।
  • अपने ब्लॉग और साइट का लिंक वेब डायरेक्ट्रीज़ में जमा करें।
  • सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल बनाकर उसमें अपनी साइट का लिंक उसमें दें
  • हालांकि नोफ़ॉलो लिंक का कम महत्व है लेकिन फिर भी आपको अन्य बढ़िया ब्लॉग और साइटों से बैकलिंक प्राप्त करने चाहिए।

आशा है आप ब्लैक हैट तरीकों से बैकलिंक प्राप्त करके अपनी साइट को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहेंगे और व्हाइट हैट बैकलिंक प्राप्त करने की प्रयास करेंगे। आपको अनेकों शुभकामनाएँ।

यदि आपके मन में बैकलिंक से जुड़ा कोई सवाल है तो कमेंट करके ज़रूर पूछें।

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Founder, Tech Prevue. Doing Pro Blogging Since 2008.

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