ब्लैक हैट और व्हाइट हैट एसईओ में सामान्य अंतर

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नए या पुराने ब्लॉगर सभी ने एसईओ यानि सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन के बारे में उत्सुक रहते हैं क्योंकि इसका उपयोग करके वे अपने ब्लॉग को सर्च इंजन में लोकप्रिय बना सकते हैं। एसईओ में भी मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है – 1. व्हाइट हैट एसईओ और 2. ब्लैक हैट एसइओ। चूँकि व्हाइट हैट एसईओ धीमी गति से आपके ब्लॉग के लिए काम करता है वहीं ब्लैक हैट एसईओ रॉकेट की स्पीड से आपके ब्लॉग को आगे ले जा सकता है। इसी वजह से कई ब्लॉगर लालच में आकर ब्लैक हैट एसईओ करवा लेते हैं ताकि उनको जल्दी लाभ पा सकें। इस प्रकार का लालच शुरु में तो आपके ब्लॉग को फ़ायदा पहुँचा सकता है लेकिन इसके बुरे परिणाम दूरगामी होते हैं।

ब्लैक हैट एसईओ क्या है

आज इंटरनेट पर फ़ाइवर और ब्लैक हैट फ़ोरम जैसी वेबसाइट्स पर एसईओ की बहुत से पैकेज सस्ते में उपलब्ध हैं। जिनको देखकर नए ब्लॉगर लालच में आ जाते हैं और बिना सोचे समझे उन्हें ख़रीद लेते हैं। ऐसा करना उनकी ग़लती नहीं, क्योंकि पैकेज बेचने वाला उन्हें यह कभी स्पष्ट नहीं बताता है कि वह लिंक बिल्डिंग मैंनुअलि करेगा या यह आटोमेटेड होगी। साथ ही यह उनको यह भी नहीं बताता है कि लिंक बिल्डिंग में उनको बैंकलिंक्स किस साइट से मिलेगा।

नये ब्लॉगर को यह समझना होगा कि किसी भी साइट की रैंक धीमे धीमे बढ़ती है और उसके लिए एसईओ के सही तथ्यों को जानना और उन पर काम करना होगा। आज के हमारे इस लेख का उद्देश्य ब्लॉगर को ब्लैक हैट एसईओ से होने वाले नुकसान से बचाना है। ताकि वे ग़लत दिशा में न जाएँ और ब्लॉग को अच्छी रैंक दिलाकर अधिक से अधिक लाभ पा सकें।

ब्लैक हैट एसईओ और व्हाइट हैट एसईओ में सामान्य अंतर

किसी भी काम को पूरा करने के लिए हमेशा एक सही रास्ता होता है और दूसरा ग़लत। एसईओ के बारे में यह बात बिल्कुल सही बैठती है। विभिन्न सर्च इंजन की एसईओ की अपनी गाइडलाइन होती है, जिसे दुनिया भर के एसईओ एक्सपर्ट्स रिकमेंड और फ़ॉलो करते हैं। एसईओ की यही गाइडलाइन व्हाइट हैट एसईओ के नाम से जानी जाती है।

वहीं दूसरी ओर सर्च इंजन गाइडलाइन में कोई लूप होल ढूँढ़कर उसकी सहायता से किसी ब्लॉग की सर्च इंजन में रैंक बढ़ा देना ब्लैक हैट एसईओ कहलाता है। इस प्रकार के एसईओ का नुकसान है कि यह ज़्यादा लम्बे समय तक आपके ब्लॉग को सर्च में रैंक नहीं करा सकता है। सर्च इंजन एल्गोरिद्म की नयी अपडेट सर्च इंजन को धोखा देने वाली इन टेक्नीक्स को ब्लैक लिस्ट कर देते हैं।

ब्लैक हैट एसईओ टेक्नीक्स

आज दुनिया भर के एसईओ एक्सपर्ट ब्लैक हैट एसईओ टेक्नीक्स पर भरोसा न करने की राय देते हैं। लेकिन फिर भी इनका प्रयोग एसईओ की दुनिया में आम सी बात हो गयी है।

क्लोकिंग

क्लोकिंग प्रोसेस द्वारा साइट के दो संस्करण बनाए जाते हैं एक सर्च इंजन बॉट्स के लिए और दूसरा विजिटर के लिए। सर्च इंजन बॉट जब उस पेज पर आता है जिसे बॉट्स के लिए बनाया गया था तो वह उसे लगता है कि सब सही है। जबकि विजिटर को कुछ और ही दिखाया जाता है।

मेटा टैग स्टफ़िंग

किसी कीवर्ड का मेटा टैग में आवश्यकता से अधिक प्रयोग मेटा टैग स्टफ़िंग कहलाता है। और साथ ही इसका भी ख़याल रखना चाहिए कि ब्लॉग पोस्ट कंटेंट के हिसाब से मेटा टैग कीवर्ड का प्रयोग किया जाए।

#1 कीवर्ड स्टफ़िंग

एक कीवर्ड का किसी पेज या पोस्ट पर 5 से 6 बार या 2-3 प्रतिशत कीवर्ड डेंसिटी से ज़्यादा प्रयोग कीवर्ड स्टफ़िंग कहलाता है।

#2 डोरवे या गेटवे पेज

कीवर्ड स्टफ़िंग से भरा हुआ कम कंटेंट और कम गुणवत्ता वाला पेज या पोस्ट डोरवे या गेटवे पेज कहलाता है। ऐसे पेजेज़ में विषय के बारे में अधिक सामग्री नहीं होती है। ऐसे लेख में 300 से कम शब्द होते हैं।

#3 मिरर वेबसाइट्स

एक वेबसाइट में जो कंटेंट हो उसी कंटेंट वाली अनेकोनेक वेबसाइटें बनाना मिरर प्रोसेस कहलाता है।

#4 पेज हाइजैकिंग

पेज हाइजैकिंग में एक डमी पेज बनाया जाता है और सर्च इंजन बॉट्स को सर्व किया जाता है लेकिन जब कोई असली विजिटर इस पेज पर आता है उसे किसी फ़्राड वेबसाइट पर धकेल दिया जाता है।

व्हाइट हैट एसईओ क्या है

व्हाइट हैट एसईओ टेक्नीक्स

एसईओ में ब्लैक हैट टेक्नीक्स का प्रयोग करने की बजाय सर्च इंजन फ्रेंडली व्हाइट हैट टेक्नीक्स का प्रयोग करने पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।

#1 बॉट और विजिटर के लिए एक ही पेज

आप सर्च इंजन बॉट्स को वही पेज क्राल करने के लिए उपलब्ध कराएँ जो आप अपने ब्लॉग विजिटर को दिखाना चाहते हैं।

#2 सर्च इंजन गाइडलाइन का अनुपालन

गूगल, बिंग और यांडेक्स जैसे सर्च इंजन की अपनी-अपनी गाइडलाइन होती हैं जो लगभग एक ही होती हैं। आपको कोशिश करना चाहिए आप एसईओ में उन बातों का पूरा अनुपालन करें जो गाइडलाइन में कही गयी हों। अन्यथा आपको सर्च इंजन पेनाल्टी भुगतनी पड़ सकती है। जिससे आपकी साइट को बहुत नुकसान होगा।

#3 साइट का कंटेंट विजिटर के लिए हो न कि बॉट्स के लिए

ब्लॉग पोस्ट बनाते समय उसमें लेख, चित्र और अन्य सामग्री पाठकों के लिए होनी चाहिए न कि सर्च इंजन बॉट्स के लिए। क्योंकि आपका ब्लॉग पाठक पढ़ते हैं न कि सर्च इंजन बॉट्स अत: ब्लॉग पाठकों के हिसाब से बनानी चाहिए।

अच्छा कंटेंट – लेख, चित्र और वीडियो आदि…

कोई लेख लिखते समय आपको ध्यान देना चाहिए कि लेख गुणवत्ता पूर्ण हो, उसका कुछ अर्थ हो और वह उपयोगी हो। इसी प्रका चित्र और वीडियो भी बनाने और प्रयोग करने चाहिए। कोशिश करनी चाहिए लेख में कम से कम 300 शब्द हों।

#4 अच्छे वेबपेज

आपका वेब पेज जितना अच्छा होगा। वह सर्च इंजन एल्गोरिद्म में होने वाले बदलाव से उतना ही सुरक्षित रहेगा। जिसके फल स्वरूप आपकी वेबसाइट की सर्च इंजन रैंकिंग उतनी बढ़िया रहेगी।

एसईओ करवाते समय इन बातों का ध्यान रखें –

जब आप अपनी वेबसाइट का एसईओ करवाने का निर्णय लें तो इन बातों की जानकारी अवश्य ले लीजिए –
1. लिंक बिल्डिंग के लिए किस टेक्नीक का प्रयोग होगा?
2. वेबसाइट में कौन-कौन से परिवर्तन किए जायेंगे? सम्भव हो तो उनकी सूची माँग लें।
3. किसी कीवर्ड के लिए सर्च इंजन में रैंक करवाने के लिए किस टेक्नीक को अपनायेंगे?

यदि अब भी ब्लैक हैट एसईओ और व्हाइट हैट एसईओ टेक्नीक्स के बारे में आपके मन में कोई प्रश्न है तो नि:संकोच हमें कमेंट अथवा ईमेल करें।

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Founder, Tech Prevue. Doing Pro Blogging Since 2008.

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