आप अब तक वेबसाइट पर ट्रैफ़िक लाने के कई तरीकों के बारे में जान चुके हैं। हम लोग जानते हैं कि यूएस (US) और यूरोपीय देशों के लोग ऑनलाइन खरीदरी अधिक करते हैं। इसलिए विज्ञापन और एफ़िलिएट मार्केटिंग करके अच्छी खासी कमाई हो सकती है।
ऐसे कई बाते हैं जो आपको किसी विशेष देश से ट्रैफ़िक लाने में काम आती हैं। एलेक्सा जैसे टूल का प्रयोग करके आप जान सकते हैं कि आपकी साइट पूरी दुनिया में कितनी पॉपुलर है। इसके साथ ही आप यह भी देख सकते हैं कि वह किन देशों में कितनी लोकप्रियता पा रही है।
एक हिंदी ब्लॉग के लिए भारतीय ट्रैफ़िक किसी दूसरे ब्लॉग के ट्रैफ़िक से अधिक महत्वपूर्ण हैं। कई प्रयोग करके मैंने सीखा है कि इंडियन ट्रैफ़िक में अभी कम्प्टीशन कम है और कमाई करने का बेहतर अवसर है।
ये प्रयोग मेरे ब्लॉग के लिए कारगर रहे हैं और परिणाम भी आशानुरूप आए। ब्लॉगिंग करके ऐडसेंस से कमाई करने के इए बहुत से लोग किसी विशेष देश को टॉरगेट करना चाहते हैं। यह पोस्ट इसी बारे में है जो आपको टॉरगेट कंट्री से ट्रैफ़िक (अंग्रेजी: Country specific traffic) दिलाने में मददगार साबित होगी।
हो सकता है कि आप इस काम के लिए कंट्री स्पेसिफ़िक ट्रैफ़िक खरीदकर काम करने के बारे में सोच रहे हों। लेकिन यह ई-कॉमर्स वेबसाइट के मामले में बढ़िया काम करता है, लेकिन ब्लॉग के लिए नैचुरल रहने में ही भलाई है।
भारत में कंट्री स्पेसिफ़िक ट्रैफ़िक टारगेट करना
1. डोमेन नेम
.com, .org और . net जैसे टॉप लेवल डोमेन ग्लोबल सर्च इंजन में अधिक हाई रैंक पा लेते हैं लेकिन आप अपने ब्लॉग के लिए इंटरनेशनल टारगेटिंग करने वाला कंट्री स्पेसिफ़िक डोमेन खरीदना बढ़िया आइडिया है।
आपने अक्सर देखा होगा कि यूएस के लोग .us, आस्ट्रेलिया के लोग .au और यूके के लोग .co.uk डोमेन टीएलडी खरीद कर अपने देशों में अधिक अच्छी सर्च रैंक पा लेते हैं। ठीक इसी तरह आप भी अपने ब्लॉग के लिए .in, .co.in, .ind.in, net.in आदि डोमेन टीएलडी खरीद सकते हैं।
आप अपने पर्सनल ब्रांड को सुरक्षित रखने के लिए दूसरे कुछ और टीएलडी भी खरीद सकते हैं। लेकिन इससे दूसरे कंट्री स्पेसिफ़िक सर्च इंजनों में रैंक पाना काफ़ी मुश्किल होगा। इसलिए अपने लक्ष्य को निर्धारित करके अपनी टारगेट ऑडियंस के हिसाब से कंट्री स्पेसिफ़िक डोमेन खरीदें।
आप ब्लूहोस्ट इंडिया की साइट पर जानकर मौजूद टीएलडी की लिस्ट देख सकते हैं।
2. गूगल सर्च कंसोल से जियोटारगेटिंग
अगर आपने कंट्री स्पेसिफ़िक डोमेन खरीदा है और उसे सर्च कंसोल में जोड़ा है तो आपको जियोटारगेटिंग (अंग्रेजी: Geo-targeting) करने का विकल्प नहीं मिलेगा। इसके लिए आप आधिकारिक सहायता पेज पर पूरी जानकारी पा सकते हैं।
गूगल सर्च कंसोल (अंग्रेजी: Google search console), ब्लॉगर्स और वेबमास्टर्स के लिए एक नि:शुल्क टूल है। अगर आप कंट्री स्पेसिफ़िक ट्रैफ़िक पाना चाहते हैं तो इसका जैसा कोई दूसरा टूल नहीं है। इसमें जियोटारगेटिंग का विकल्प है जो आपको कंट्री स्पेसिफ़िक ट्रैफ़िक पाने में सहायता करता है।
इसके लिए आपको सर्च कंसोल में लॉगिन करके अपनी साइट को वेरीफ़ाई कराना होगा। उसके बाद आपको डैशबोर्ड पर Search Traffic > International Targeting अंदर कंट्री टैब में Country का विकल्प दिखाई देगा। आप बॉक्स पर टिक करके ड्राप डाउन से Target users को चुनकर सेट कर सकते हैं।
3. वेबहोस्टिंग सर्वर की लोकेशन
इंटरनेशनल टारगेटिंग करके कंट्री स्पेसिफ़िक ट्रैफ़िक पाने के लिए सर्वर लोकेशन का भी महत्व है। यदि आप अपनी साइट को भारत में पापुलर करना चाहते हैं तो आपको भारतीय सर्वर पर होस्ट करें। इस बात का ध्यान सर्वर खरीदते समय ज़रूर रखें।
इंडियन सर्वर: होस्टगेर इंडिया , ब्लूहोस्ट इंडिया , बिगरॉक इंडिया
कंटेंट डिलिवरी नेटवर्क (CDN) भी अलग-अलग देशों में आपको तेज़ कंटेंट डिलिवरी की सुविधा मुहैया कराता है। अगर सर्वर उसी देश में है जहाँ से आप अपना ट्रैफ़िक सेट कर रहे हैं तो सर्वर आइपी (अंग्रेजी: Server IP) सुनिश्चित करेगी कि उस देश में आपका वेबसाइट तेज़ लोड हो। सर्च इंजन बॉट भी आपके सर्वर की लोकेशन पता कर लेंगे। ये सारी बातें उस देश में आपकी सर्च इंजन रैंक बढ़ाने में मदद करेंगे।
4. बैकलिंक से जियोटारगेटिंग
गूगल सर्च शुरुआत में कंटेंट की लोकप्रियता को जानने के लिए बैकलिंक का प्रयोग करता था। समय बदला लेकिन बैकलिंक आज भी महत्वपूर्ण हैं। जिस देश में साइट टारगेट कर रहे हैं, उसी देश की वेबसाइटों से बैकलिंक अधिक फ़ायदेमंद है।
गेस्ट पोस्टिंग, कमेंट, कम्यूनिटी फ़ोरम आदि में थोड़ा समय देकर आप सेफ़ बैकलिंक पा सकते हैं।
5. कंटेंट स्तर की टारगेटिंग
गूगल सर्च बॉट की नज़र में आपकी वेबसाइट का कंटेंट सबसे महत्वपूर्ण है। जिसे क्राल करके वह पता लगाता है कि आप किस देश के लिए इंटरनेशनल टारगेटिंग कर रहे हैं। जेनेरिक डोमेन नेम और एक्स्टेंशन (जैसे .com, .net, .org) प्रयोग कर रहे हैं तो मेटा टाइटल और डिस्क्रिप्शन में इसके बारे में जानकारी ऐड करनी होगी। इससे कंटेंट से सर्च बॉट को क्लियर सिगनल मिलता है कि आप किस देश की ऑडियंस को टारगेट कर रहे हैं।
इसके अलावा आपके कंटेंट की भाषा और आर्टिकल में दी जाने वाली जानकारी के हिसाब से सर्च रैंक निर्धारित की जाती है। रीडेबिलिटी (अंग्रेजी: Readability) एक एसईओ फ़ैक्टर है, अगर आपकी वेबसाइट की भाषा भारतीय मानकों के अनुसार तय की गई है तो यूएस से ट्रैफ़िक मिलने की संभावना कम ही रहेगी। इसलिए आपको टॉरगेट कंट्री से ट्रैफ़िक पाने के लिए वहाँ की भाषा का प्रयोग करें। इसके लिए आप उस देश के लोकल राइटर्स को हायर कर सकते हैं ताकि वहाँ की व्याकरण और लोकप्रिय वाक्यों को प्रयोग किया जा सके।
6. लोकल एसईओ
आप इसे जेनेरिक ब्लॉग के लिए लागू नहीं कर पाएंगे। लेकिन यदि आपको सर्विस वेबसाइट या ईकॉमर्स वेबसाइट चला रहे हैं तो गूगल माइ बिजनेस आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा। आप गूगल माइ बिजनेस पेज बनाकर अपना पिन वेरीफ़िकेशन करायें। उसके बाद लोकल सर्च में आपकी बिजनेस वेबसाइट जोड़ दी जाएगी। जहाँ से आपको अच्छा ट्रैफ़िक और बिजनेस मिलने लगेगा।
इसी लोकल साइटेशन का पूरा फायदा उठाने के लिए दूसरे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे फेसबुक पर पेज भी बना सकते हैं। जिस पर आपकी वेबसाइट पर प्रकाशित की जाने वाली सामग्री की जानकारी डाली जाती हो। इससे आपके फ़ॉलोअर्स नई अपडेट्स आसानी से प्राप्त कर लेंगे और आपकी वेबसाइट पर कंट्री स्पेसिफ़िक ट्रैफ़िक मिलेगा।
7. लोकल सर्च इंजन और डायरेक्ट्री
आप जिस देश के लिए वेबसाइट बना रहे हैं, वहाँ के लोकल सर्च इंजनों और डायरेक्ट्री में उसे सबमिट करें। इससे आपको लोकल बैकलिंक बनाने में मदद मिलेगी। यह जियोटारगेटिंग का एक महत्वपूर्ण सिगनल है।
8. कीवर्ड लोकप्रियता
वेबसाइट का कंटेंट उसके बारे में बहुत कुछ बताता है इसलिए उन कीवर्ड को इस्तेमाल करें, जो उस देश में ज़्यादा सर्च किए जाते हैं। इसके लिए आप गूगल ट्रेंड का प्रयोग कर सकते हैं।
कीवर्ड प्रोग्रेस
आपने कंटेंट में कीवर्ड का इस्तेमाल तो कर लिया लेकिन आप ये कैसे पता करेंगे कि उस देश में कौन सा कीवर्ड दूसरी वेबसाइट से कितना आगे और कितना पिछड़ रहा है। ट्रैफ़िक लाने के लिए गूगल सर्च में पहले पेज पर टिके रहना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए आप SEMRUSH का इस्तेमाल कीजिए।