मैं जानता हूँ कि आप हिंदी ब्लॉगिंग के शौकीन है और अपने ब्लॉग से पैसा कमाना चाहते हैं, यदि ऐसा नहीं होता तो आप मेरी यह पोस्ट न पढ़ रहे होते। आपने मेरे ब्लॉग को इतना पसंद किया इसके लिए शुक्रिया। बहुत से लोग शिकायत करते हैं कि वह अपने ब्लॉग से बहुत कम कमा रहे हैं। यदि ऐसा है तो या तो आपके ब्लॉग पर ट्रैफ़िक कम है या फिर ऐडसेंस पर कम सीपीसी मिल रहा है। जी हाँ भारत और पूरे एशिया में ऐडसेंस विज्ञापन पर एक क्लिक होने पर मिलने वाली आमदनी कुछ दो चार रुपये ही होती है। आइए आज इसी पर बात करते हैं कि भारत में ऐडसेंस विज्ञापनों पर कम सीपीसी क्यों मिलता हैं?
कम सीपीसी मिलने का कारण
Low AdSense CPC in India – Reasons Explained
गूगल ऐडसेंस / Google AdSense के शुरुआती दौर में जिस तरह से किसी ब्लॉग से कमाई की जा सकती थी आज वैसा कर पाना मुश्किल है लेकिन हाल ही बदलावों के मद्दे नज़र हमारे ब्लॉगर भाई भी अपनी ब्लॉगिंग रणनीति में परिवर्तन ला रहे हैं। अक्सर फोन या ईमेल द्वारा लोग एक ही प्रश्न पूछते हैं कि ब्लॉग से होने वाली कमाई को कैसे बढ़ाया जाये? लेकिन कम सीपीसी / CPC – Cost per Click की समस्या को हल कैसे करें? इसका सही जवाब बिना जाँच पड़ताल के दे पाना थोड़ा मुश्किल होता है।
मैं स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट / Strategic Management का छात्र रहा चुका हूँ इसलिए इसका मुझे पहले से मालूम था लेकिन हमारे ब्लॉगर मित्र इस बारे में खुद पड़ताल गूगल कीवर्ड प्लानर के द्वारा कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने ब्लॉग के विषय से सम्बंधित सबसे अच्छा कीवर्ड खोजना है और उसे कीवर्ड प्लानर में सर्च करना है। जब आप ऐसा करेंगे तो देखेंगे कि अमेरिका और यूरोप के अनेक विकसित देशों में एक विज्ञापन करने वाली द्वारा एक क्लिक होने अदा किया जाने वाला मूल्य अधिक रखा गया है। जबकि यदि आप फिल्टर का प्रयोग करके भारत या अन्य एशियाई देशों के लिए उसी कीवर्ड पर अदा किए जाने वाले मूल्य को देखें तो आप वह आपकी आशा से बहुत अधिक कम मिलेगा।
अब आपके मन में आ रहा होगा कि हमारे साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है? जी नहीं ये कोई भेद भाव नहीं है। यदि आप भी अपनी कम्पनी खोलें तो विज्ञापन उन्हीं जगहों पर अधिक करेंगे जहाँ आपका सामान अधिक बिकेगा और विज्ञापन करने वाली कम्पनी आपसे उतना अधिक दाम लगाने को कहेगी। यह मार्केटिंग स्ट्रैटेजी / Marketing Strategy का हिस्सा है। उम्मीद है यहाँ तक आपको बात समझ आ गयी होगी।
अब आगे बढ़ते हैं, अमेरिका जैसे विकसित देशों के तुलना में भारत जैसे विकासशील देशों में आनलाइन शॉपिंग का प्रचलन बहुत कम है। एक स्डटी के अनुसार यह लगभग 40 से 50% तक कम है। अगर भारत की बात करें तो अधिकांश ई-कामर्स साइटें / E-commerce sites केवल बड़े शहरों में सामान बेचती और पहुँचाती हैं वो सामान की डिलिवरी हर शहर हर जगह नहीं कराती हैं। शायद आपने भी कभी ऐसा देखा हो कि जब कोई सामान ऑनलाइन स्टोर पर मौजूद तो है लेकिन कम्पनी उसे आपके शहर में डिलिवर नहीं कर रही है। जिस जगह से सामान कम खरीदा जाता है कम्पनियाँ अपना ध्यान वहाँ कम लगाती हैं।
इस तरह आप समझ सकते हैं कि यदि एक ही विज्ञापनों दो जगहों पर दिख रहा है तो उस पर होने वाले क्लिक से मिलने वाली आमदनी अलग-अलग होगी। जहाँ ग्राहक अधिक होंगे वहाँ अधिक सीपीसी मिलेगा और जहाँ ग्राहक कम होंगे वहाँ कम सीपीसी मिलेगा। उम्मीद है कि मैं आपको अपने उत्तर से संतुष्ट कर पा रहा हूँ।
दूसरा कारण यह है कि इंडिया में अभी ऑनलाइन शॉपिंग केवल मेट्रो सिटीज़ में ही प्रचलन में है और लोग कुछ एक तरह के समान ही ऑनलाइन ख़रीदना पसंद करते हैं। एक स्टडी के अनुसार पूरे भारत में 5% से भी कम लोग ऑनलाइन शॉपिंग और ऑनलाइन क्रेडिट / डेबिट कार्ड द्वारा पेमेंट करने की इच्छा रखते हैं। भारत में ऐसा होने के कई कारण हैं –
#1 पहले तो लोगों में ऑनलाइन पेमेंट की जागरुकता नहीं है
#2 लोगों ने कुछ एक ऑनलाइन फ्राड के बारे में पढ़कर ऑनलाइन पेमेंट करने से घबराते हैं
#3 लोग सामान को देखकर, छूकर, महसूस करके और जाँच परख के ख़रीदना पसंद करते हैं
#4 अधिकांश लोग ज़रूरत होने पर चीज़ें ख़रीदते हैं इसके लिए वह पैसा चुकाने के बाद एक दिन भी इंतिज़ार नहीं करना चाहते है
# भारत में प्रति व्यक्ति आय कम है और ऐसे लोग कम है जो ब्रैंडेड सामान खरीदकर प्रयोग करते हैं
उम्मीद करता हूँ कि आपको इस पोस्ट से आपको अपने प्रश्न उत्तर मिल गया होगा।
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आपने उपयोगी जानकारी दी है, मैंने कुछ परिवर्तन किए हैं, देखते हैं उससे कितना लाभ होता है।