क्या आप उन लोगों में से हैं जिन्हें किसी बात पर निगोशिऐट करने की कला या फिर किसी बात से मना करना नहीं आता है? क्या आप ऐसी स्थिति में आसानी से अपना आपा खो देते हैं? अगर ऐसा है तो आप एक सही जगह आए हैं, जहाँ आपको अपनी प्रॉब्लम का हल मिल जाएगा। जब आपको किसी से और किसी को आपसे कोई काम करवाना होता है, तो बीच का रास्ता निकलना निगोशीऐशन या समझौता कहलाता है।
किसी परिस्थिति में अगर आप सामने वाले की किसी बात से सहमत नहीं हैं तो भी आप उससे अपने मन की बात शेअर नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, किसी बात के लिए आप विनम्रता से अपना पक्ष रख सकते हैं ताकि उसे आपकी बात समझ आ जाए। अगर आप सावधानी से क़दम बढ़ाएँ तो आप सामने वाले से अपनी बात मनवा भी सकते हैं। आगे हम आपको बता रहे हैं कि बिना किसी बात पर बिगड़े आप कुछ एक बातों का ध्यान रखकर निगोशिऐट करने में माहिर बन सकते हैं।
बिजनेस निगोशिऐट करने के टिप्स
1. सिर्फ़ सुनिए नहीं, समझिए भी
सुनने और समझने में बड़ा फ़र्क होता है। सुनने का मतलब है कि आपके कान खुले हैं लेकिन बात को समझ नहीं रहे हैं। जबकि ध्यान से सुनने पर आपको सामने वाले की बात पूरी तरह समझ आ जाती है। आपको जिससे निगोशीऐशन करना करना हो, उसकी बात को पूरे ध्यान से सुनना चाहिए। ऐसा करने से उसका हर शब्द आपके दिमाग़ में चला जाता है और उसकी बात या कोई आइडिया आपको पूरी तरह समझ आ जाता है, भले ही वह आपके मतलब का हो या फिर नहीं। इसके बाद ही आप उसको समझ सकते हैं कि किस तरह उसका आइडिया आपके काम नहीं आ सकता है।
2. बॉडी लैंग्विज सही रखिए
एक सही बॉडी लैंग्विज रखके आप किसी से भी अपनी बात मनवा सकते हैं। जब आपको महसूस हो कि सामने वाले का बेकार है तो आप उसमें अरुचि न दिखाएँ। आप उससे हाथ मिलाकर बताएँ कि आप उसके आइडिया के बारे में क्या सोच रहे हैं। जबकि आप कुछ प्वाइंट्स पर आप उससे सहमत नहीं लेकिन फिर भी वह आपके बात का बुरा नहीं मानेगा। जब किसी से निगोशिऐट करने जाएँ तो कभी उसे उँगली न दिखाएँ। इसके बदले आप उसे अपनी बात कह लेने दें और उसके बाद अपना पक्ष रखें।
3. आपका कहा हर शब्द मायने रखता है
किसी को आकर्षित करने में आपका कहा हर शब्द मायने रखता है, इसी प्रकार आपका कोई शब्द नफ़रत का भी कारण बन सकता है। असहमति दिखाने के लिए भी अच्छे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि किसी से सहमति दिखाने के लिए सिर्फ़ हाँ कहना पड़ता है। लेकिन किसी से निगोशीऐशन करने के लिए सही शब्दों का चयन करना पड़ता है, ताकि सामने वाले को किसी बात बुरा न लगे।
4. रिसर्च कीजिए
जब आपको किसी बात पर निगोशिऐट करने का अवसर मिले तो पहले उस आइडिया पर प्रापर रिसर्च करें। इसके लिए आपको सामने वाले के कुछ समय माँग लेना चाहिए। इस समय का सदुपयोग करते हुए आपको गौर करना चाहिए कि उसका आइडिया आपके लिए कैसे फ़ायदेमंद रहेगा? निर्णय कीजिए कि आपके उसके आइडिया पर काम करेंगे या नहीं? अगर आप हाँ करने वाले हैं तो ठीक हैं, अगर न करने वाले हैं तो प्वाइंट नोट कर लीजिए कि उसके कारण क्या हैं? ताकि जब आइडिया देने वाला आपके मना करने का कारण पूछे तो आप उसे बता सकें।
5. अपनी टोन का ध्यान रखिए
बड़े हमेशा ही सिखाते हैं कि बात करने वाले से सौम्य व्यवहार करना चाहिए। और जब किसी बात पर असहमति जतानी हो तो अक्सर हम अपनी बॉडी लैंग्विज और टोन पर ध्यान नहीं देते हैं। हमें अपनी टोन का ध्यान रखते हुए अपनी आवाज़ में सौम्यता बनाए रखनी चाहिए और बात को मना कर देना चाहिए। ग़लत टोन और ऊँची आवाज़ में बात करने पर सामने वाले पर बुरा प्रभाव पड़ता है और चाहे भले ही वैसा कुछ जानबूझकर न किया हो। इससे निगोशिऐट करने में दिक़्क़त आती है।
6. फ़ैसला न सुनाएँ
किसी काम को करने पहले ही उसके बारे कोई निर्णय सुना देने का अर्थ होता है कि आप उस काम को करने से डरते हैं इसलिए आप अपना फ़ैसला सुना रहे हैं। ऐसा बहुत से लोग करते हैं कि जब किसी बात पर असहमति दिखानी हो तो वे दूसरे को ग़लत और ख़ुद को सही बताने का हर प्रयास करते हैं। ऐसा करके आप सामने वाले की मनोभावनाओं का अपमान कर देते हैं। किसी बात से असहमति दिखाने के लिए आप उसे सीधे न कर दें और टॉपिक बदल दें।